काल किसे कहतें हैं ? काल के प्रकार और भेद
कार्य व्यापार समय और उसका पूर्ण या अपूर्ण अवस्था का बोध कराने वाली क्रिया के रूपांतर को काल कहतें हैं कॉल क्रिया का एक प्रमुख घटक है काल का अर्थ है समय क्रिया के व्यापार का समय निर्धारण काल के द्वारा होता है।
इससे क्रिया के व्यापार के समय के साथ-साथ उसकी पूर्णता और अपूर्णता की अवस्था का भी पता चलता है। क्रिया का व्यापार कब संपन्न हुआ हो रहा है या होगा इसका बोध होता है।
काल की परिभाषा।
काल क्रिया के उस रूपांतर को कहते हैं जिससे क्रिया के व्यापार और उसकी पूर्ण या पूर्ण अवस्था का बोध होता है।
जैसे-
राम घर जाता है।
राम घर गया था।
राम घर जाएगा।
ऊपर की तीनों वाक्यों में कर्ता राम के घर जाने की क्रिया के व्यापार की समय सूचना मिलती है पहले वाक्य में जाता है से क्रिया का व्यापार वर्तमान समय में होने का बोध होता है।
दूसरे वाक्य में गया था से क्रिया के व्यापार के संपन्न हो जाने का बोध होता है अर्थात जाने का कार्य समाप्त हो चुका है।
तीसरे वाक्य में जाएगा से आने वाले समय में क्रिया के व्यापार की संभावना है। इस प्रकार इन तीनों वाक्यों से क्रिया के व्यापार के समय का बोध होता है और उसकी पूर्णता या अपूर्णता की अवस्था का भी पता चलता है।
काल के भेद
काल तीन प्रकार के हैं
वर्तमान काल - वह जाता है।
भूत काल वह गया था।
वर्तमान काल
जिस क्रिया से कार्य के वर्तमान। समय में संपन्न होने का बोध हो उसे वर्तमान काल कहते हैं।
उदाहरण
मैं बाजार जाता हूं।
तुम बाजार जाते हो।
वह बाजार जाता है।
ऊपर के तीनों वाक्यों में जाने क्रिया का व्यापार वर्तमान में संपन्न हो रहा है।
वर्तमान काल के भेद
वर्तमान काल के पांच भेद हैं।
सामान्य वर्तमान
पूर्ण वर्तमान
तात्कालिक वर्तमान
संदिग्ध वर्तमान
संभाव्य वर्तमान
सामान्य वर्तमान काल
जिस क्रिया का होना या करना वर्तमान समय में ही मालूम हो उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे- वह जाता है। मैं जाता हूं।
वह जाती है। तुम जाते हो।
पूर्ण वर्तमान काल
भविष्य काल - वह जाएगा।
जिस क्रिया के होने या करने की पूर्णता का बोध। वर्तमान काल में हो से पूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे। उसने खाया। मोहन ने पढ़ा।
तात्कालिक वर्तमान काल
जिस क्रिया में कार्य के होने या करने की निरंतरता वर्तमान समय में मालूम हो उसे तात्कालिक वर्तमान काल कहते हैं। इसमें क्रिया का वर्तमान काल में लगातार होते रहने का बोध होता है। इसमें क्रिया के व्यापार की पूर्णता का बोध नहीं होता है जैसे।
मैं जा रहा हूं।
वह आ रहा है।
संदिग्ध वर्तमान काल
जिस क्रिया से कार्य होने या करने में संदेह प्रकट हो उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे- राजेश पढ़ता होगा।
मोहिनी खाती होगी।
संभाव्य वर्तमान काल
जिस क्रिया पर कार्य करने को नया करने की। संभावना का बोध हो उसे संभाव्य वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे- देखो घर पर वह आया है।
रमा बाजार गई हो।
भूतकाल के भेद
भूतकाल के 6 भेद हैं
सामान्य भूतकाल
आसन्न भूतकाल
पूर्ण भूतकाल
अपूर्ण भूतकाल
संदिग्ध भूतकाल
हेतुहेतुमद भूतकाल
सामान्य भूतकाल
जिससे क्रिया के व्यापार की बीते हुए समय में समाप्त होने की सामान्य सूचना मिलती है उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
मोहन गया। राधा गई।
आसन्न भूतकाल
जिससे प्रिया के व्यापार की समाप्ति की। निकटता स्पष्ट हो उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
जैसे-
मोहन अभी आया है। अभी-अभी राधा सो गई है।
पूर्ण भूतकाल
जिससे क्रिया के व्यापार की पूर्ण समाप्ति का बोध हो उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
जैसे- उसने पढ़ा था। वह मेरे यहां आया था।
यहां क्रिया के भूतकाल में ही पूर्णता संपन्न होने का भाव है।
अपूर्ण भूतकाल
जिससे क्रिया के व्यापार की समाप्ति की अपूर्णता प्रकट हो उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
जैसे- श्याम खेल रहा था। माया सो रही थी।
ऊपर के वाक्यों में खेल रहा था और सो रही थी क्रियाओं से उनके व्यापार की। अपूर्णता लक्षित होती है। इनसे स्पष्ट मालूम होता है कि क्रिया की समाप्ति में अभी अपूर्णता है।
संदिग्ध भूतकाल
जिससे क्रिया के व्यापार की समाप्ति में संदेह प्रकट हो उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
जैसे- शायद तुमने देखा होगा। आपने कहा होगा।
ऊपर के वाक्यों में देखा होगा और कहां होगा क्रियाओं से यह निश्चय नहीं हो पाता कि काम पूरा हुआ या नहीं।
हेतुहेतुमद भूतकाल
जिससे यह पता चलता है कि क्रिया भूतकाल में संपन्न। हो सकती थी पर वह नहीं हो सकी। उसे हेतु हेतुहेतुमद भूतकाल कहतें हैं।
जैसे- वह पढ़ता तो उत्तीर्णहो जाता।
यदि वह जाता तो मैं भी जाता।
ऊपर के वाक्यों की क्रियाओं से काम की पूर्णता का बोध नहीं होता वरन संभावना प्रकट होती है कि एक काम संपन्न होता तो दूसरा काम होता तो दूसरा काम भी हो जाता।
हेतुहेतुमद भाव का अर्थ है। कार्य और कारण का संबंध। हेतुहेतुमद भूत में भी दो बातें होती हैं जो कार्य कारण को सूचित करती है। कारण पर ही कार्य निर्भर है हेतुहेतुमद भूतकाल में दो बातों का होना कहा जाता है इसमें पहली दूसरी पर निर्भर होती है अर्थात कारण के अभाव को दिखाकर कार्यक्रम ना होने को दिखाया जाता है।
भविष्य काल
जिससे क्रिया के व्यापार का आने वाले समय में किया जाना या होना सूचित हो उसे भविष्य काल कहते हैं।
जैसे- रोहित शाम को आएगा। रवि कल घर जाएगा।
भविष्य काल के भेद
भविष्य काल के प्रमुख दो भेद हैं
सामान्य भविष्य काल
सम्भाव्य भविष्य काल
सामान्य भविष्य काल
क्रिया के जिस व्यापार से काम का आने वाले समय में होने या करने की सूचना मिले उसे सामान्य भविष्य काल करते हैं।
जैसे- राम पुस्तक पढेगा। मैं पुस्तक पढ़ूँगा।
सम्भाव्य भविष्य काल
क्रिया के जिस व्यापार से काम में आने वाले समय में होने या करने की संभावना व्यक्त हो उसे सम्भाव्य भविष्य काल कहते हैं।
जैसे- संभव है कल राम आए। लगता है वह चला जाएगा।
सम्भाव्य भविष्यत काल से अनुमान अनुमति इच्छा आशीष विधि या आदेश जैसे भावों का बोध होता है।
जैसे-
अनुमान संभव है वह वहां अभी तक नहीं होगा।
अनुमति अब मैं यहां से जाऊं।
इच्छा प्रभु सबकी रक्षा करें।
आशीष बच्चा युग युग जिओ।
विधि या आदेश तुम कल मेरे निवास पर आना।
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