अकर्मक क्रिया ,सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं सकर्मक क्रिया कैसे पहचाने 

सकर्मक क्रिया की परिभाषा-

जिन क्रियाओं के प्रयोग में 'कर्म' की अपेक्षा रहती है,उन्हें 'सकर्मक' क्रिया कहते हैं   

अकर्मक क्रिया की परिभाषा -

जिन क्रियाओं के प्रयोग में 'कर्म' की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें 'अकर्मक' क्रिया कहते हैं 

अकर्मक क्रिया ,सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं कैसे पहचाने

अकर्मक क्रिया ,सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

क्रिया के दो भेद और है । जिन क्रियाओं के प्रयोग में 'कर्म' की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें 'अकर्मक' और जिनमें कर्म की अपेक्षा रहती है,उन्हें 'सकर्मक' क्रियाएं कहते है, 

जैसे- मैं गया । मैं सोता हूँ । पक्षी उड़ते हैं । 

इन वाक्यों में कर्ता और क्रिया ही है, तो अभी वाक्य पूर्ण है, इनमें कर्म की आवश्यकता नहीं है । अतः जाना, सोना, उड़ना अकर्मक क्रियाएं हैं । 


अब इन वाक्यों पर ध्यान दीजिये । मैं पाता हूं।उसने पीटा । उसने खाई । प्रश्न उठता है- क्या पाता हूं, किसको पीटा, क्या खाया, इन वाक्यों में कर्म की अपेक्षा है । कर्म के बिना ये अपूर्ण हैं । यहाँ कर्म के साथ कहना होगा मैं वेतन पाता हूं; उसने लड़के को पीटा; उसने मिठाई खाई ।

सकर्मक  क्रिया को कैसे पहचाने| सकर्मक क्रिया कैसे पहचानें 

 सकर्मक क्रिया की यही पहचान है कि उसके साथ 'क्या', 'किसको' लगाकर देखिये । यदि कोई उत्तर मिलता है तो समझिये कि क्रिया सकर्मक है, नहीं तो अकर्मक । 

कुछ क्रियायें कभी सकर्मक होती हैं और कभी अकर्मक । यह प्रयोग पर निर्भर है, 

जैसे-  

 अकर्मक क्रिया के उदाहरण        सकर्मक क्रिया के उदाहरण 

    वह खेल रहा है ।             वह फूटबाल खेल रहा है । 

    वह पढ़ रहा है ।              वह पुस्तक पढ़ रहा है । 

    कुआँ भरता है ।             नौकर पानी भरता है । 

    रस्सी ऐंठती है ।            लड़का रस्सी को ऐंठता है । 

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया में अंतर और भेद  

सकर्मक क्रिया

1. सकर्मक में कर्ता, क्रिया,कर्म उपस्थित होतें हैं 
2.सकर्मक में कर्ता द्वारा किये गए कार्य से कोई दूसरी वस्तु प्रभावित होती है 
3.जैसे- नरेश खाता है 

 अकर्मक क्रिया

1.अकर्मक क्रिया में कर्ता और क्रिया होते हैं परन्तु कर्म नहीं होता 
2.अकर्मक में कर्ता द्वारा किये गए कार्य से कोई दूसरी वस्तु प्रभावित नहीं होती है 
3. जैसे-नरेश खाना खाता है  

  उक्त प्रकार की धातुओं को, जो अकर्मक और सकर्मक दोनों रूपों में प्रयुक्त होती है- उभय विध या द्विविध क्रियाएं कहते हैं । 

द्विकर्मक क्रिया - कई सकर्मक क्रियाओं के साथ दो कर्मों की उपेक्षा होता है, जैसे - श्याम ने राम को पुस्तक पढ़ाई, क्या पढ़ाई? पुस्तक, किसको पढ़ाई? राम को, इस प्रकार पढ़ाई क्रिया के दो कर्म हैं - राम तथा पुस्तक । मैं लड़के को तमाशा दिखाता हूं । लड़की ने अध्यापिका को कविता सुनायी । इन वाक्यों में द्विकर्मक क्रियायें हैं । पदर्थवाची कर्म मुख्य कर्म कहलाता है तथा प्राणी का बोध कराने वाला कर्म गौण कर्म कहलाता है । गौण कर्म के साथ 'को' लगता है। 

 कुछ अकर्मक क्रियाएं केवल कर्ता के रहने पर पूरा-पूरा अर्थ नहीं दे पाती, जैसे - वह…..बना,  तुम तो…. निकले,  वह…. है,  वे…..कहलाते हैं । ये सब अपूर्ण अकर्मक क्रियायें हैं । इन वाक्यों में क्रमशः मन्त्री, आलसी, अच्छा, धर्मात्मा, लगाने पड़ेंगे । ये कर्म नहीं है, पूरक 'शब्द' हैं । 


         ऊपर के उदाहरणों में आपने देखा होगा कि अकर्मक क्रियाएं प्रायः अलग हैं और समकर्क क्रियायें उनसे भिन्न हैं । किन्तु बहुत सी ऐसी अकर्मक क्रियायें हैं जिनका स्वर परिवर्तन या कभी-कभी व्यंजन परिवर्तन करने से सकर्मक रूप सिद्ध होता है । 

 उदाहरणार्थ - 

उड़ना-उड़ाना   उखड़ना-उखाड़ना   भीगना-भीगोना 

उठना-उठाना   उबलना-उबालना    रहना-रखना 

बजना-बजाना    डूबना-डुबाना         टूटना-तोड़ना  

खुलना-खोलना   बुझना-बुझाना       बिकना-बेचना 

जुड़ना-जोड़ना    पिटना-पीटना      लेटना-लिटाना  

छीडना-छेड़ना    बोलना-बुलाना     पिसना-पीसाना 

सुखना-सूखाना   जोड़ना-जुडना     लुटना-लूटना  

जुतना- जोंतना    सिकुड़ना-सिकोड़ना   गड़ना- गाड़ना 


विशेष - प्रेरणार्थक क्रियाएं भी सकर्मक क्रियाएं होती है । ऊपर की सूची में परिवर्तन के नियम वही हैं, जो प्रेरणार्थक क्रिया बनाने में लागू होते हैं । उत्तर ये है कि ऊपर की सूची में दी गई सकर्मक क्रियाओं में किसी को प्रेरणा नहीं दी जाती, कर्ता स्वयं ये क्रियाएं करता है । 

      सहायक क्रिया - निम्नलिखित वाक्य पढ़िये - 

 वह जाता है । मैंने खाना खाया था । तुम सोये हुए थे । वे सुन रहे थे । इनमें जाना, खाना, सोना, सुनना मुख्य क्रियाएं हैं, क्योंकि वाक्य में इन्हीं के अर्थ की प्रधानता है । शेष क्रियाएं हैं- है, था, हुये थे, रहे थे- सहायक क्रियाएं हैं । ये मुख्य क्रिया के रूप को पूरा करने में सहायक होती है । 

           संयुक्त क्रियाओं में दूसरी क्रियाएं डालना, चुकना, चाहना, लगना, सकना, पाना, लेना, देना, उठना, बैठना आदि भी सहायक क्रियाएं ही होती हैं । 

   अनेकार्थ क्रियाएं - हिन्दी में कुछ ऐसी क्रियाएं हैं, जिनका प्रयोग अनेक अर्थों में होता है । यह हिन्दी की अदभुत विशेषता है । 

उदाहरणार्थ - खाना क्रिया है और उसके अनेक अर्थ हो सकते हैं - 

       (1) वह रोटी खाता है । (2) वह मार खाता है । (3) वह हराम का पैसा खाता है । (4) वह कसम खाता है । (5) वह दूसरों की कमाई खाता है । (6) वह मेरा सिर खाता है । (7) वह घूस खाता है । (8) वह प्रातःकाल हवा खाने सैर पर जाता है । (9) लोहे को जंग खाती है । (10) मेरा सिर चक्कर खाता है । 

लगना - (1) मीठा लगना । (2) ठण्ड लगना । (3) मत लगना ।  (4) काम में लगना । 

छोड़ना - (1) स्थान छोड़ना । (2) चिट्ठी छोड़ना । (3) किसी को छोड़ देना । (4) किसी को कष्ट में छोड़ना । 

मिलना - (1) किसी से मिलना । (2) कुछ मिलना । (3) चेहरा मिलना । (4) घड़ी मिलना । (5) दिल मिलना । (6) सजा मिलना ।

FAQ. 

सकर्मक क्रिया को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

ans. Transitive verb कहते हैं 

अकर्मक क्रिया को इंग्लिश में क्या कहते हैं? 

ans.  intransitive verb कहते हैं 

सकर्मक क्रिया कितने प्रकार के होते हैं? 

ans.  सकर्मक दो प्रकार के होते हैं 

1.एककर्मक क्रिया 2.द्विकर्मक क्रिया 



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